कैसे खुद की नजर उतारूं
कैसे खुद की नजर उतारूं
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कैसे मैं खुद की नजर उतारूं
बिन दर्पण चेहरा देख ना पाऊं
अन्तर्मन मेरा भीतर से मैला
अन्तर्मन में मैं झांक ना पाऊं
नज़र लगी है किस की मुझ पर
उसको कहां से खोज के लाऊं
किस कारण से नज़र लगी है
अपने दिल को कैसे समझाऊं
किसको मुझसे प्रेम हुआ है
ये निश्चल मन समझ ना पाया
किसने मुझ पर नज़र लगाई
कौन है अपना कौन पराया
किन नयनों ने देखा मुझको
मैं जिसके दिल उतर गया
पा ना सकीं वो दिल को मेरे
इसी से वो दिल भटक गया
आ जाओ तुम अब पास हमारे
दिल की कुटिया में बस जाओ
सुमनों की भांति खिलो बगिया में
दिल की बगिया को महकाओ
आकर मेरी तुम नज़र उतारो
कर बाहुपास का आलिंगन
स्वस्थ करो मेरे मेरे तन को
आत्म शान्ति हो अन्तर्मन
विद्या शंकर अवस्थी पथिक कानपुर
Punam verma
11-Apr-2023 08:56 AM
Very nice
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Abhinav ji
11-Apr-2023 08:23 AM
Very nice 👌
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
11-Apr-2023 07:53 AM
सुन्दर सृजन
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